शाब्दिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ का अर्थ होता है 36 किले या गढ़ ।
कलचुरी शासनकाल में रतनपुर शाखा एवं रायपुर शाखा के अंतर्गत 18-18 गढ़ थे इस प्रकार इस क्षेत्र में कुल छत्तीसगढ़ थे ऐसी मान्यता है कि गढो के कारण वर्तमान में छत्तीसगढ़ प्रदेश छत्तीसगढ़ कहलाया ।
इनमें से 18 गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर में स्थित थे और बाकी 18 गढ़ नदी के दक्षिण में स्थित है
कालांतर में उत्तर के गढ़ रतनपुर राज के अधीन रहे और दक्षिण के राज्य रायपुर राज के अधिकार में चले गए
इन गढो की सूचियाँ चीजम और हैवीट द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में दी गई इसका संदर्भ आचार्य रमेंद्र नाथ मिश्र की किताब “छत्तीसगढ़ का इतिहास” में मिलता है ।
रतनपुर राज्य के अंतर्गत आने वाले 18 गढो के नाम
रतनपुर | सोढ़ी | लाफ़ागढ़ |
मारो | औखर | केंदा |
विजयपुर | पंढरभाठा | उपरोड़ा |
खरौद | सेमरिया | मातिन |
कोटगढ़ | मदनपुर | कंडरी वर्तमान में पेंड्रा |
नवागढ़ | कोसगई | करकटी वर्तमान में बघेलखंड |
रायपुर के अंतर्गत आने वाले 18 गढो के नाम
रायपुर | दुर्ग | फिंगेश्वर |
पाटन | सरदा वर्तमान में सारधा | राजिम |
सिमगा | सिरसा | सिंघनगढ़ |
सिंगारपुर | मोहदी | सूअरमार |
लवन | खल्लारी | टेंगनागढ़ |
अमोरा | सिरपुर | एकलवार वर्तमान में अकलतरा |
छत्तीसगढ़ का क्या अर्थ होता है? इस सवाल का जवाब लगभग आपको समझ आ गया होगा
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