छत्तीसगढ़ के विभिन्न प्रागैतिहासिक स्थल

छत्तीसगढ़ के विभिन्न प्रागैतिहासिक स्थल

रायगढ़ जिले में बड़ी संख्या में शैलाश्रय मिलने के कारण रायगढ़ को शैलाश्रयों का गढ़ भी कहा जाता है।

सिंघनपुर

रायगढ़ में प्राचीनतम शैलाश्रय है। छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम चित्रित शैलाश्रयों की खोज 1910 के दशक में एण्डरसन द्वारा की गई थी। यहाँ के चित्र लगभग धुंधले हैं सीढ़ीनुमा पुरुषाकृति, मत्स्य – कन्या (मरमेड), पशु आकृतियाँ, शिकार दृश्य आदि। भारत में केवल सिंघनपुर में प्रागैतिहासिक मानव (एवमेन) व मत्स्य कन्या (मरमेड) का चित्र मिला है।

कबरा पहाड़

रायगढ़ के चित्र गैरिक रंग के, ये चित्र अन्य स्थानों से ज्यादा सुरक्षित व उत्तम हैं। यहाँ जंगली भैंसा, कछुआ, पुरूषाकृति, ज्यामितीय अलंकरण है।

बसनाझर

रायगढ़, सिंघनपुर के समीप बसनाझर में पहाड़ी श्रृंखला पर 300 से अधिक चित्र है, इसमें थी, गेंडा, भैसा, आखेट दृश्य, ज्यामितिक अलंकरण उल्लेखनीय है.

कर्मागढ़

रायगढ़ से 30 कि.मी. दूर कर्मागढ़ शैलाश्रय में 325 से अधिक चित्र. यहाँ शैलचित्रों में एक भी मानवाकृति नहीं है। पशु, जलचर प्राणी और ज्यामितिय एवं बहुरंगी आकृतियों की प्रमुखता है।

खैरपुर:

रायगढ़ के समीप टीपाखोल जलाशय के निकट पहाड़ी में नृत्य – दृश्य, पशु-पक्षियों का अंकन। यहाँ के शैलचित्र अंधेरे में भी चमकते हैं।

बोतल्दा

रायगढ़, खरसिया के निकट बोतल्दा ग्राम के उत्तर में लम्बी पहाड़ी श्रृंखला पर सिंह गुफा में पशुओं के शिकार दृश्य ज्यामितीय अलंकरण आदि। यहाँ गुप्तकालीन सूर्य मंदिर के अवशेष भी हैं।

सूतीघाट

रायगढ़, बिलासपुर-रायगढ़ मार्ग पर पतरापाली ग्राम के समीप भँवरखोल, सूतीघाट में किसान हल हाथ में लिए, पशु आकृतियों का अंकन।

गाताडीह

रायगढ़, सारंगढ़ के समीप स्थित गाताडीह में पशु आकृतियाँ, शिकार दृश्य, मानवाकृतियों का अंकन।

सिरौली-डोगरी

रायगढ़, सारंगढ़ के निकट शैलाश्रय, मानवकृतियाँ, शिकार, पशुओं का अंकन.

ओंगना

रायगढ़ जिले के धर्मजयगढ़ के पास ओंगना की पहाड़ियों में शैलचित्र मिले हैं, इसमें आखेट, सामूहिक नृत्य, विचित्र वेशभूषा वाली मानव- आकृतियों के साथ गाय, बैल आदि का चित्रांकन है. यहाँ चित्रों के ऊपर चित्र अंकित हैं जिससे पता चलता है कि आदिमानवों की अनेक पीढ़ियों ने यहाँ चित्रांकन किया.

छोटे पंडरमुड़ा

रायगढ़, खरसिया, से पाषाणयुगीन कब्रगाह प्राप्त हुई है,

गाड़ागौरी

कांकेर जिले की चारामा तहसील में ग्राम गाड़ागौरी के समीप पहाड़ी श्रृंखला में शीतलामाता नामक स्थान पर पशु आकृतियों का अंकन।

उड़कुड़ा

कांकेर जिले की चारामा तहसील के ग्राम-उड़कुड़ा में मेगालिथिक अवशेष.

खैरखेड़ा

कांकेर जिले की चारामा से दक्षिण में कानापौड़ से पश्चिम में 5 कि.मी. दूर स्थित खैरखेड़ा ग्राम से दक्षिण में स्थित पहाड़ी श्रृंखला में बालेरा नाम से प्रसिद्ध चित्रित शैलाश्रय

चितवा डोंगरी :

राजनांदगाँव जिले में अम्बागढ़ चौकी के पास चितवा डोंगरी में प्रागैतिहासिक शैलचित्र है. यहाँ तीन गुफाओं में नव-पाषाणकालीन 27 शैलचित्र अंकित है, यहाँ अन्य चित्रों के अलावा ईरान की •आकृति भी मिली है, जो चीनी कला की अभिव्यक्ति का प्रमाण हैं

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