वन्य जीव संरक्षण
जैव भौगोलिक दृष्टिकोण से छत्तीसगढ़ डेक्कन जैव क्षेत्र में शामिल है तथा इसमें बाघ (पैन्थेरा टाइग्रिस), तेन्दुआ, गौर, सांभर, चीतल, नीलगाय, जंगली सुअर आदि पाये जाते हैं
वन्य प्राणी संवर्धन क्षेत्र- 3 राष्ट्रीय उद्यान एवं 11 वन्य प्राणी अभ्यारण्य का कुल क्षेत्रफल 6,506.8 वर्ग कि.मी. है.
प्रदेश में 3 राष्ट्रीय उद्यान व 11 वन्य प्राणी अभ्यारण्य, 1 गेम सेंक्चुअरी है.
दुर्लभ वन्य प्राणियों जैसे वन भैंसा (बबलस बूबलिस) तथा पहाड़ी मैना (ग्रैकुला रिलिजिओसा पेनिन्सुलेरिस) राज्य की गौरवशाली धरोहर है जिन्हें क्रमशः राज्य पशु एवं राज्य पक्षी घोषित किया गया है. .
वनभैसों का अस्तित्व संकट में है, ये सिर्फ उदन्ती अभ्यारण्य, पामेड़ अभ्यारण्य और इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान में सीमित हैं. छत्तीसगढ़ में पायी जाने वाली वन भैसों की नस्ल सबसे शुद्ध मानी जाती है.
अतः इसका महत्व अधिक है. जाँजगीर-चांपा जिले के ग्राम कोटमीसोनार के तालाबों में विगत कई वर्षों से निवास
कर रहे मगरमच्छों के संरक्षण के लिए राज्य शासन द्वारा वित्तीय वर्ष 2006-07 में
मगरमच्छ संरक्षण योजना का प्रारंभ किया गया एवं क्रोकोडाइल पार्क बनाया गया. कांगेर घाटी में कांगेर नदी के भैंसा दरहा नामक स्थान पर मगरमच्छों का प्राकृतिक शरण स्थल है.
इसके साथ ही अबूझमाड़ की जाटलूर नदी में मुरूमवाड़ा के समीप मगरमच्छ देखे गये हैं.
मरवाही क्षेत्र के वनों में सफेद भालू के पाये जाने की जानकारी मिली है, नागलोक के नाम से प्रसिद्ध तपकरा (जिला जशपुर) में सर्प ज्ञान केन्द्र की स्थापना की जा रही है.
छत्तीसगढ़ में कितने अभ्यारण्य होती हैं ? इस सवाल का जवाब लगभग आपको समझ आ गया होगा